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नागेश्वर नाथ मंदिर

श्रेणी धार्मिक

शिव भगवन को समर्पित यह मंदिर राम की पैड़ी में स्थित है| ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण श्री राम के छोटे पुत्र कुश ने करवाया था| कहा जाता है कि एक बार सरयू में स्नान करते समय कुश ने अपना बाजूबंद खो दिया था जो एक नाग कन्या द्वारा वापस किया गया| नाग कन्या कुश पर मोहित हो गयी, चूँकि वह शिवभक्त थी अतः कुश ने इस मंदिर का निर्माण उस नाग कन्या के लिए करवाया था| यह मंदिर राजा विक्रमादित्य के शासन काल तक अच्छी स्थित में था| 1750 में इसका जीर्णोधार नवाब सफ़दरजंग के मंत्री नवल राय द्वारा कराया गया था| शिवरात्रि का पर्व इस मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, यहाँ शिव बारात का भी बड़ा महात्म्य है| शिवरात्रि के पर्व में यहाँ लाखों की संख्या में दर्शनार्थी एवं श्रद्धालु उपस्थित होते हैं|

फोटो गैलरी

  • नागेश्वर नाथ मंदिर का प्रवेश द्वार
  • सुंदर दीवार और मेहराब - नागेश्वर नाथ मंदिर
  • सुंदर दीवार और मेहराब (अन्य दृष्य) - नागेश्वर नाथ मंदिर

कैसे पहुंचें:

बाय एयर

लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है जो अयोध्या से 152 किलोमीटर दूर है। अयोध्या गोरखपुर हवाई अड्डे से लगभग 158 किलोमीटर, प्रयागराज हवाई अड्डे से 172 किलोमीटर और वाराणसी हवाई अड्डे से 224 किलोमीटर दूर है।

ट्रेन द्वारा

फैजाबाद व अयोध्या जिले के प्रमुख रेलवे स्टेशन लगभग सभी प्रमुख महानगरों एवं नगरों से भलि-भांति जुड़े हैं। फैजाबाद रेल मार्ग द्वारा लखनऊ से 128 कि.मी., गोरखपुर से 171 कि.मी., प्रयागराज से 157 कि.मी. एवं वाराणासी से 196 कि.मी. है। अयोध्या रेल मार्ग द्वारा लखनऊ से 135 कि.मी., गोरखपुर से 164 कि.मी., प्रयागराज से 164 कि.मी. एवं वाराणासी से 189 कि.मी. है।

सड़क के द्वारा

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की सेवा 24 घंटे उपलब्ध हैं, और सभी छोटे बड़े स्थान से यहां पहुंचना बहुत आसान है। फैजाबाद बस मार्ग द्वारा लखनऊ से 152 कि.मी., गोरखपुर से 158 कि.मी., प्रयागराज से 172 कि.मी. एवं वाराणासी से 224 कि.मी. है। अयोध्या बस मार्ग द्वारा लखनऊ से 172 कि.मी., गोरखपुर से 138 कि.मी., प्रयागराज से 192 कि.मी. एवं वाराणासी से 244 कि.मी. है।